हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "उसूले काफी" पुस्तक से लिया गया है इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
إخْتَبِرُوا إخْوانَكُمْ بِخَصْلَتَينِ: فَإنْ كانَتا فيهِمْ وَإلاّ فَأعْزُبْ ثُمَّ اَعْزُبْ ثُمَّ أعْزُبْ: ألْمُحافَظَةُ عَلَى الصَّلَواتِ فى مَواقيتِها وَالبِرُّ بِالإخْوانِ فِى العُسْرِ وَاليُسْرِ
हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
अपने भाइयों को दो सिफातों से पहचानो !अगर वह दो सिफाते इनमें पाई जाती हो तो इनसे दोस्ती को आगे बढ़ाओ वरना इनसे दूर रहो! दूर रहो!दूर रहो!
वह दो सिफाते यह हैं:
(1)वह नमाज़े अव्वाल वक्त के पाबन्द हो।
(2) वह कठिनाइयों में गुर्बत में और आराम व रिज़्क कि ज़ियदती में अपने दीनी भाइयों से अच्छा बर्ताव करते हैं।
उसूले काफी,भाग 2,पेज 672